यूनेस्को ने शुरू किया चोरी हुई धरोहरों का पहला वर्चुअल संग्रहालय UNESCO launches the World’s First Virtual Museum of Stolen Cultural Objects

यूनेस्को का पहला वर्चुअल म्यूजियम: चोरी हुई धरोहरों की डिजिटल वापसी की दिशा में क्रांतिकारी कदम


परिचय (Introduction)

·         संस्कृति किसी भी राष्ट्र की पहचान, गर्व और ऐतिहासिक चेतना का जीवंत प्रतीक होती है। जब कोई सांस्कृतिक धरोहर चोरी होती है, तो केवल एक वस्तु नहीं बल्कि एक सभ्यता की स्मृति भी खो जाती है।

·         इसी दृष्टिकोण से यूनेस्को (UNESCO) ने 29 सितंबर 2025 को स्पेन के बार्सिलोना में आयोजित MONDIACULT सम्मेलन के दौरान चोरी हुई सांस्कृतिक वस्तुओं का पहला वैश्विक वर्चुअल म्यूजियम” लॉन्च किया — जो सांस्कृतिक पुनर्स्थापन के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक पहल है।


म्यूजियम की अवधारणा और विशेषताएँ (Concept & Features)

·         यह डिजिटल संग्रहालय चोरी या तस्करी की गई सांस्कृतिक वस्तुओं पर केंद्रित है।

·         इसका लक्ष्य है कि जैसे-जैसे वास्तविक वस्तुएं अपने मूल देशों को लौटाई जाएंगी, वैसे-वैसे वे डिजिटल संग्रह से हटती जाएंगी — यानी इसका उद्देश्य “खुद को खाली करनाहै।


डिज़ाइन और संरचना (Design & Structure):

·         डिज़ाइनर: प्रित्ज़कर पुरस्कार विजेता आर्किटेक्ट फ्रांसिस केरे (Francis Kéré)

·         आकृति: अफ्रीकी महाद्वीप के प्रतीक बाओबाब वृक्ष (Baobab Tree) के रूप में — जो शक्ति, सहनशीलता और जीवन का प्रतीक है।

मुख्य तीन कक्ष (Rooms):

1.       चोरी वस्तुओं की गैलरी (Gallery of Stolen Objects)

2.       ऑडिटोरियम (Auditorium)

3.       वापसी कक्ष (Restitution Room)


तकनीकी विशेषताएँ (Technological Features):

·         3D मॉडलिंग, वर्चुअल रियलिटी (VR) और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का उपयोग कर वस्तुओं का डिजिटल पुनर्निर्माण।

·         600 से अधिक वस्तुएं 3D में प्रदर्शित।

·         इंटरैक्टिव मैप्स, समुदायों की गवाही (testimonies), और चोरी स्थलों की कथाएँ सम्मिलित हैं।

·         मुफ़्त एक्सेस – वेबसाइट के माध्यम से किसी भी मोबाइल या कंप्यूटर पर उपलब्ध।


वित्तपोषण (Funding):

·         म्यूजियम का वित्तपोषण सऊदी अरब के किंगडम द्वारा किया गया है।

·         कुल बजट: लगभग 2.5 मिलियन अमेरिकी डॉलर (21 करोड़ रुपये)।

·         साझेदारी: INTERPOL के सहयोग से विकसित, 44 देशों का समर्थन जिनमें अमेरिका और ग्रीस प्रमुख हैं।


भारत से इस म्यूजियम में छत्तीसगढ़ के पाली महादेव मंदिर (9वीं शताब्दी) की दो बलुई पत्थर की मूर्तियाँ प्रदर्शित हैं —

·         नटराज: शिव का ब्रह्मांडीय नृत्य रूप, जिसमें वे एक राक्षस का दमन कर रहे हैं।

·         ब्रह्मा: सृष्टिकर्ता रूप में, तीन मुखों और चार भुजाओं के साथ, जिनके चरणों में स्थित हंस ज्ञान का प्रतीक है।


वैश्विक सांस्कृतिक संदर्भ (Global Cultural Context)

·         दुनिया भर में 52,000 से अधिक चोरी हुई वस्तुओं का रिकॉर्ड INTERPOL के पास है।

·         यह म्यूजियम उनमें से सैकड़ों वस्तुओं को डिजिटल रूप में 3D में प्रस्तुत करता है।

·         यह पहल सांस्कृतिक तस्करी और औपनिवेशिक लूट के विरुद्ध वैश्विक आंदोलन की दिशा में एक ठोस कदम है।

·         साथ ही यह संवाद का प्लेटफॉर्म है जो सरकारों, म्यूजियमों, पुलिस एजेंसियों और नागरिक समाज को जोड़ता है।


महत्व (Significance)

·         सांस्कृतिक पुनर्स्थापन का नया माध्यम:
यह वर्चुअल संग्रहालय खोई हुई धरोहरों को उनके मूल समुदायों से जोड़ता है, जिससे सांस्कृतिक पहचान को पुनर्जीवित किया जा सके।

युवाओं में जागरूकता:

·         यह प्लेटफ़ॉर्म नई पीढ़ी को यह सिखाता है कि “धरोहर की चोरी, पहचान की चोरी है।”

भौतिक परिवहन की बाधाओं से मुक्ति:

·         डिजिटल रूप में प्रदर्शन से भौतिक पुनर्प्रेषण की जटिलताएं घटती हैं, और वस्तुएं वैश्विक पहुँच में आती हैं।

नवीन कूटनीतिक उपकरण:

·         यह म्यूजियम देशों के बीच सांस्कृतिक कूटनीति (Cultural Diplomacy) का नया मंच बन सकता है।


संभावित चुनौतियाँ (Criticism & Concerns)

·         कुछ आलोचकों के अनुसार “वर्चुअल वापसीवास्तविक स्वामित्व (ownership) का विकल्प नहीं हो सकती।

·         यह आशंका भी व्यक्त की गई कि इससे मूल देशों को भौतिक वापसी की प्रक्रिया में विलंब का सामना करना पड़ सकता है।
फिर भी, यह पहल सांस्कृतिक संवाद और पुनर्स्थापन की दिशा में एक प्रेरक शुरुआत मानी जा रही है।


यूनेस्को (UNESCO)

·         स्थापना: 1945

·         मुख्यालय: पेरिस

·         सदस्य देश: 194

·         उद्देश्य: शिक्षा, विज्ञान, संस्कृति और संचार के माध्यम से वैश्विक शांति को सशक्त करना।

·         वर्तमान में यूनेस्को “कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उत्तर देनेऔर “वैश्विक विरासत की रक्षा करनेपर बल दे रहा है।


·         यूनेस्को का यह डिजिटल संग्रहालय सांस्कृतिक धरोहरों की डिजिटल पुनर्वापसी का वैश्विक मॉडल है।

·         यह पहल न केवल औपनिवेशिक लूट के खिलाफ आवाज है, बल्कि सांस्कृतिक पुनर्जागरण की तकनीकी दिशा भी है।

·         भारत जैसे देशों के लिए यह अपने खोए हुए खजानों को ट्रैक करने और दुनिया को उनकी अमर सांस्कृतिक विरासत से जोड़ने का सशक्त साधन है।


 

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